हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیہ السلام
عن أَبِي يَحْيَى الصَّنْعَانِيِّ عَنْ أَبِي عَبْدِ اللَّهِ علیه السلام قَالَ:مَا مِنْ مُؤْمِنٍ صَامَ فَقَرَأَ إِنَّا أَنْزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةِ الْقِدْرِ عِنْدَ سَحُورِهِ وَ عِنْدَ إِفْطَارِهِ إِلَّا كَانَ فِيمَا بَيْنَهُمَا كَالْمُتَشَحِّطِ بِدَمِهِ فِي سَبِيلِ اللَّهِ.
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक (अ.स.) ने फरमाया:
जो मोमिन रोज़ेदार सेहरी और इफ्तार के वक्त सूरह कद्र की तिलावत करें इसे इस शख्स कि जैसा सवाब मिलेगा जो राहे खुदा में अपने खून में लथपथ हो,
बिहारूल अनवार,भाग 97,पेंज 344